तू ..... |
supriya.jadhav7 |
26 November 2010 |
भाष्य |
कुमार जावडेकर |
27 November 2010 |
' कहाणी...'( गझल ) |
mamata.riyaj@gm... |
14 November 2010 |
''जीवन अंधारातच आहे'' |
कैलास |
8 November 2010 |
बघ कशा संवेदना गातात माझ्या |
मयुरेश साने |
23 November 2010 |
...पण सुरूच आहे रहदारी ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
20 October 2010 |
... स्मरण असावे |
अजय अनंत जोशी |
17 October 2010 |
दु:ख सुद्धा माणसे पाहून येते |
मिल्या |
9 November 2010 |
अर्थ आहे |
क्रान्ति |
18 November 2010 |
दे चार श्वास दे रे .. |
शाम |
6 October 2010 |
पेटत्या वातीच माळू |
अनिल रत्नाकर |
18 November 2010 |
शहर झाले चांदण्याचे |
चित्तरंजन भट |
24 October 2010 |
म्हटले होते |
क्रान्ति |
14 November 2010 |
'व्यथा'....(गझल) |
mamata.riyaj@gm... |
23 October 2010 |
मी एकटीच येथे!!!(गझल). |
supriya.jadhav7 |
1 November 2010 |
फीतूर .... |
कविता मोकाशी |
25 October 2010 |
''वाटतो जरी प्रसन्न मी वरुन'' |
कैलास |
15 October 2010 |
एक होऊ या क्षणी |
केदार पाटणकर |
29 October 2010 |
....सारे मला मिळाले !!! (गझल). |
supriya.jadhav7 |
9 October 2010 |
खुशाली |
आनंदयात्री |
1 March 2010 |
चेहरा दे कोणताही बाटतो का आरसा ? ........... |
मयुरेश साने |
29 October 2010 |
बहरता बहरता..... |
ह बा |
29 September 2010 |
कोजागिरी !!! |
supriya.jadhav7 |
22 October 2010 |
रात्र झाली फ़ार आता !!! |
supriya.jadhav7 |
27 October 2010 |
चुंबिण्या येऊ नको तू |
मयुरेश साने |
25 October 2010 |