गझल |
उस्ताद |
ॐकार |
गझल |
सखे ठोठावते आहेस कुठले दार देहाचे? |
ॐकार |
गझल |
तगमग |
ॐकार |
गझललेख |
फासले ऐसे भी होंगे - भावानुवाद - असेल अंतर असेही... |
ॐकार |
गझल |
किनारा |
ॐकार |
गझल |
करारनामे |
ॐकार |
गझल |
शब्दांत प्राण आले |
ॐकार |
गझल |
जाळशील का तू? |
ह्रषिकेश चुरी |
गझल |
जरासा त्रास होतो |
ह्रषिकेश चुरी |
गझल |
कुणी इथे |
ह्रषिकेश चुरी |
गझल |
...कुठे बेत आहे? |
ह्रषिकेश चुरी |
गझल |
तुझ्यास्तव..... |
ह्रषिकेश चुरी |
गझललेख |
मीर तकी मीर ची एक गझल व त्याचे मराठी भाषांतर |
हेमंत पुणेकर |
गझल |
माझ्या मनासी कळेना |
हरीश दांगट |
गझल |
भेटाया आल्या गझला, त्याच्या नंतर. |
ह बा |
गझल |
उसवित बसले बूड कवी हे ज्या झोळ्यांचे |
ह बा |
गझल |
जपलेली हळहळ |
ह बा |
गझल |
गेल्यात रे चकोरा बाटून या सरी... |
ह बा |
गझल |
अपघात काय घडला? |
ह बा |
गझल |
हरवलाच रुखवती उखाण्याचा गोडवा |
ह बा |
गझल |
इतकी सुंदर ढाल? |
ह बा |
गझल |
माणसाला म्हणे मारते भाकरी! |
ह बा |
गझल |
चालतो ऐसा जणू .... |
ह बा |
गझल |
नसतीच आसवे तर.... |
ह बा |
गझल |
सहज फिराया आलेला सासरला श्रावण. |
ह बा |