गझल |
आहे उसंत कोठे |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
अशी कशी ही बदलत गेली सर्व माणसे |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
हा शब्दांच्या गुणसूत्रांचा दोष असावा |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
वायदे बाजार |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
गझल |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
ना कळे |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
आता |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
...व्यवसाय मी |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
वारुळे |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
माकडे ही |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
फार झाले |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
...लाभले |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
गझलभक्ती |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
भीती |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
..ते मोहरू |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
रांगले होते |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
ना मिळे |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
कसे सांगायचे |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
अचाट तारे तोडत होता |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
येत नाही मी |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
श्वास झालो |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
लाजच काढली |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
फार झाले |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
मी क्धी ना अड्वले |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
पाणपोई |
अनिल रत्नाकर |