गझल |
असेच हल्ली मनास होते... |
ज्ञानेश. |
गझल |
सहज फिराया आलेला सासरला श्रावण. |
ह बा |
गझल |
अस्वस्थ |
संतोष कुलकर्णी |
गझलचर्चा |
पोएटिक लिबर्टी |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
जीवना माझ्या बरोबर चालतांना |
स्नेहदर्शन |
गझल |
आपला स॑वाद... |
वैभव देशमुख |
गझल |
स्वप्नभूमी |
महेश बाहुबली |
गझल |
शब्द माझे |
वैभव जोशी |
गझल |
कशी अंकुरावीत आता बियाणे? |
गंगाधर मुटे |
गझल |
मौन |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
मजकूर |
आनंदयात्री |
गझल |
हा शब्दांच्या गुणसूत्रांचा दोष असावा |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
असा श्वासांत येतो प्रास |
वैभव जोशी |
गझल |
रंग नभाचे... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
पहा, शांत झाला.. |
केदार पाटणकर |
गझल |
उदास...! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
असे नव्हे |
मिल्या |
गझल |
विषारी केव्हढे वातावरण आहे |
चित्तरंजन भट |
गझल |
नाव तुझ्या ओठावर... |
वैभव देशमुख |
गझल |
पहा दिशाही रुसून बसल्या तुझ्यासारख्या. |
सोनाली जोशी |
गझल |
जायला हवे ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
जराजरासा !!! |
supriya.jadhav7 |
गझल |
प्रश्न... |
नचिकेत |
गझल |
बोलण्याने बोलणे वाढेल आता |
चित्तरंजन भट |
गझल |
रहस्ये गाडली गेली तळाशी |
सोनाली जोशी |