गझलचर्चा |
गझल कशी होते? |
विसुनाना |
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कणसूर |
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गझल |
झेंडा |
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गझल |
वळवळ केवळ |
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ताकीद |
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गारगोट्या |
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वामवेद |
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हे खरे ना? |
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पीळ |
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जरासा... |
विसुनाना |
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खरे ना? |
विसुनाना |
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मी पाहिले उजळूनही... |
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पोर्ट्रेट ३ |
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१ गझल: केदार पाटणकर |
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केला खरेपणाचा नाही विचार त्यांनी |
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जीवश्च मित्र हाजी वलीउर्रहमान सिद्दीकी यांच्यासोबत कविवर्य सुरेश भट |
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माझ्या कवितेचा प्रवास |
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सुरेश-५ |
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३ गझला : नीता भिसे |
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विजा घेऊन- १ |
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भटसाहेब १ |
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पान सापडले नाही |
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माझा पत्ता असणारा हा गावच नाही |
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पोर्ट्रेट १३ |
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