गझल |
जन्मभर तुडवीन मी ... |
वैभव देशमुख |
गझल |
विश्व समजू लागलो अपुल्या घराला |
वैभव देशमुख |
गझल |
दिसे दिसायास... |
वैभव देशमुख |
गझल |
दिसतो तुला जरी मी......... |
वैभव देशमुख |
गझल |
ये जवळ |
वैभव देशमुख |
गझल |
ही झाडे पेटवली कोणी....... |
वैभव देशमुख |
गझल |
र॑ग अपुले मिसळले नाही..... |
वैभव देशमुख |
गझल |
एक पाखरु फांदीवर... |
वैभव देशमुख |
गझल |
दिशा गातात ह्या जेव्हा ... |
वैभव जोशी |
गझल |
मोजकी उन्हे , मोजक्या सरी |
वैभव जोशी |
गझल |
ह्या कशा उबदार ओळी... |
वैभव जोशी |
गझल |
...विचार एखादा |
वैभव जोशी |
गझल |
जगून काय साधले |
वैभव जोशी |
गझल |
एक इरादा हसण्याचा |
वैभव जोशी |
गझल |
असा श्वासांत येतो प्रास |
वैभव जोशी |
गझल |
शब्द माझे |
वैभव जोशी |
गझल |
वगैरे... |
वैभव जोशी |
गझल |
तुझ्याविना हे शहर तुझे |
वैभव जोशी |
गझल |
संकटे |
वीरेद्र बेड्से |
गझल |
वळता वळता |
वीरेद्र बेड्से |
गझल |
देखावे.. |
विसोबा खेचर |
गझल |
वस्ती..! |
विसोबा खेचर |
गझल |
बुरखा |
विसुनाना |
गझल |
छेद |
विसुनाना |
गझल |
खंत |
विसुनाना |