गझल |
फुलांना दंश काट्यांचे हवे होते..... |
खलिश |
गझल |
''तुझ्याविना या जगात माझा जगावयाला नकार आहे'' |
कैलास |
गझल |
यातना........ |
अमित वाघ |
गझल |
यादगार |
भूषण कटककर |
गझल |
मनाला |
क्रान्ति |
गझल |
कळेल का कुणा ॠणानुबंध... |
दीपा |
गझल |
सुटे, मोकळे होण्यामध्ये हात जरा गुरफटले होते |
कैलास गांधी |
गझल |
यज्ञपर्व ...( गझल ) |
निरज कुलकर्णी |
गझल |
भाव |
क्रान्ति |
गझल |
कविता जुळून आली.. |
बहर |
गझल |
नाते |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
मधेच वाहते मधेच थांबते |
जयदीप |
गझल |
इथे तर पानगळ बहरात आहे |
जयन्ता५२ |
गझल |
मंतरलेल्या सायंकाळी |
संतोष कुलकर्णी |
गझल |
जपलेली हळहळ |
ह बा |
गझल |
मी एकटाच येथे माझ्या जगात आहे |
मी अभिजीत |
गझल |
सखे ठोठावते आहेस कुठले दार देहाचे? |
ॐकार |
गझल |
गेल्यात रे चकोरा बाटून या सरी... |
ह बा |
गझल |
तरी हात हाती हवासा तुझा... |
अमित वाघ |
गझल |
गर्भार... |
रुपेश देशमुख |
गझल |
सल कशाचा आत कोठे खोल आहे |
प्रसन्न शेंबेकर |
गझल |
भावस्थंडिल |
सारंग भणगे |
गझल |
...थकलास तू किती ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
शब्द बेईमान झाले आज इतके काय सांगू? |
विजय दि. पाटील |
गझल |
जगेन मी |
भूषण कटककर |