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१ गझल: केदार पाटणकर |
विश्वस्त |
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पहारा : डॉ. श्रीकृष्ण राऊत |
डॉ. श्रीकृष्ण राऊत |
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प्रास्ताविक-भाग १ |
निनावी (not verified) |
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मी पाहिले उजळूनही... |
विश्वस्त |
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टिळा (हझल) |
कुमार जावडेकर |
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गझल |
अशोकन |
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३ गझला : नीता भिसे |
विश्वस्त |
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कशासाठी ? |
आनंद पेंढारकर |
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केला खरेपणाचा नाही विचार त्यांनी |
विश्वस्त |
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माझ्या कवितेचा प्रवास |
विश्वस्त |
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पण आज अचानक कळले... |
मधुघट |
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सुरेश-५ |
विश्वस्त |
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भटसाहेब १ |
विश्वस्त |
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जीवन |
rashmi |
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कैदखाना |
अभिषेक उदावंत |
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शिंतोडा |
पुलस्ति |
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पान सापडले नाही |
विश्वस्त |
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पारिजात |
म्रुत्युन्जय |
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राहिले रे अजून श्वास किती ?* |
जनार्दन केशव म्... |
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विजा घेऊन- १ |
विश्वस्त |
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मलूल पडलेले जेव्हा गुलदान पाहतो हृदयाचे |
निनावी (not verified) |
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.....असाच राहिलो |
अमेय जोशी |
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एक संवाद-९ |
विश्वस्त |
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शक्य नाही |
भूषण कटककर |
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१ गझल : योगेश वैद्य |
विश्वस्त |