गझल |
दूर |
ऋत्विक फाटक |
गझल |
भग्न : मधुघट |
मधुघट |
गझल |
फिरून यायचे इथे टळेल का कधी? |
मिल्या |
गझल |
गुपित |
पुलस्ति |
गझल |
कविता म्हणू प्रियेला.. |
गंगाधर मुटे |
गझल |
चुंबिण्या येऊ नको तू |
मयुरेश साने |
गझल |
डायरी |
प्रमोद बेजकर |
गझल |
दारू - प्रसाद कुलकर्णी |
मीर क्षीरसागर |
गझल |
आसपास |
अलका काटदरे |
गझल |
पाहिले तुला हळूच |
तुषार जोशी |
गझल |
इथे कुणाला संग हवा? |
योगेश वैद्य |
गझल |
वाकडे |
भूषण कटककर |
गझल |
मदार |
पुलस्ति |
गझल |
सौदा |
आनंदयात्री |
गझल |
व्यर्थ |
आभाळ |
गझल |
लाघवीशी वाटते आहे |
भूषण कटककर |
गझल |
सत्य |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
जगून घे |
आदित्य_देवधर |
गझल |
एक वेडी वेदनेची जात आहे. |
मानस६ |
गझल |
जटायू |
पुलस्ति |
गझल |
खोल डोहाच्या तळाशी साचलेला गाळ हो |
बेफिकीर |
गझल |
गझल - ६.(ब) : साकी मला तू असा, गळका जाम देऊ नको : दुरूस्त आणी पुनः संपादित |
खलिश |
गझल |
पाय |
किमंतु |
गझल |
हातच दगडाखाली माझे... |
शैलेश कुलकर्णी |
गझल |
एकरूप |
चांदणी लाड. |