गझल |
शहर झाले चांदण्याचे |
चित्तरंजन भट |
गझल |
जगून काय साधले |
वैभव जोशी |
गझल |
बुद्ध बाटला आहे |
बेफिकीर |
गझल |
भळभळतांना जाणवले की.. |
ज्ञानेश. |
गझल |
ही सरिता रुसली आज किनाऱ्यावरती... |
मानस६ |
गझल |
आभास मीलनाचा.. |
गंगाधर मुटे |
गझल |
वारे जरासे गातील काही.. |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
तसे नसेलही ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
गझल |
अनंत ढवळे |
गझल |
तुला या शोधती तारा |
rind |
गझल |
कर्ज |
क्रान्ति |
गझल |
सोसेना |
योगेश वैद्य |
गझल |
जगणे असते... (अजब) |
अजब |
गझल |
नको फिरून बोलणे नकोच आज भेटणे |
सोनाली जोशी |
गझल |
जखमा जुन्या (गझल ) |
मनिषा नाईक. |
गझल |
चांदण्या लेऊन झाला... |
ह बा |
गझल |
तरी हात हाती हवासा तुझा... |
अमित वाघ |
गझल |
हे सुगंधाचे निघाले काफिले! |
मानस६ |
गझल |
बनेल तारे.. |
बहर |
गझल |
भांडेल कोण आता? |
विजय दि. पाटील |
गझल |
...थकलास तू किती ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
आरपार |
भूषण कटककर |
गझल |
असे बाहेर डोकावू नका आतील दु:खांनो.... |
बेफिकीर |
गझल |
फुलपाखरे |
ह बा |
गझल |
मिळते कोठे ? |
कौतुक शिरोडकर |