गझल |
ना दिवाळी पाहिली या लक्तराने !!! |
supriya.jadhav7 |
गझल |
तुझे ठसे... |
ज्ञानेश. |
गझल |
फुलांना दंश काट्यांचे हवे होते..... |
खलिश |
गझल |
''तुझ्याविना या जगात माझा जगावयाला नकार आहे'' |
कैलास |
गझल |
यादगार |
भूषण कटककर |
गझल |
मनाला |
क्रान्ति |
गझल |
सुटे, मोकळे होण्यामध्ये हात जरा गुरफटले होते |
कैलास गांधी |
गझल |
यज्ञपर्व ...( गझल ) |
निरज कुलकर्णी |
गझल |
पोहरा |
नचिकेत |
गझल |
भाव |
क्रान्ति |
गझल |
कविता जुळून आली.. |
बहर |
गझल |
किनारा |
ॐकार |
गझल |
तमा |
निलय |
गझल |
मधेच वाहते मधेच थांबते |
जयदीप |
गझल |
इथे तर पानगळ बहरात आहे |
जयन्ता५२ |
गझल |
जपलेली हळहळ |
ह बा |
गझल |
...दिवेलागणीच्या वेळी ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
मी एकटाच येथे माझ्या जगात आहे |
मी अभिजीत |
गझल |
बस जराशा मी पणाने.... |
अमित वाघ |
गझल |
सखे ठोठावते आहेस कुठले दार देहाचे? |
ॐकार |
गझल |
गेल्यात रे चकोरा बाटून या सरी... |
ह बा |
गझल |
गर्भार... |
रुपेश देशमुख |
गझल |
काय फायदा? |
मिल्या |
गझल |
सल कशाचा आत कोठे खोल आहे |
प्रसन्न शेंबेकर |
गझल |
भावस्थंडिल |
सारंग भणगे |