गझल |
दुःख गोठलेले मी... ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
जशा कैक होत्या व्यथा गोंदलेल्या |
श्यामली |
गझल |
अपघात काय घडला? |
ह बा |
गझल |
एकदा आहे तुला भेटायचे |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
कशाचा शोध काही घेत नसतो |
चित्तरंजन भट |
गझल |
माती |
मिल्या |
गझल |
कधी र्हस्व माझाच मी दीर्घतो |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
अदृश्यच असतो क्रूस कधी |
चित्तरंजन भट |
गझल |
आई दे.. |
संतोष कुलकर्णी |
गझल |
तू दिलेली सोडचिट्ठी... |
ज्ञानेश. |
गझल |
वादळे उसळून आल्यावर.... |
केदार पाटणकर |
गझल |
कधी वाटते मी भिडावे जगाशी |
कैलास |
पृष्ठ |
शुभेच्छा, अभिनंदन इत्यादी |
विश्वस्त |
गझल |
खोटे असते हळहळणे |
अजय अनंत जोशी |
गझलचर्चा |
चर्चाप्रस्ताव - कविता आहे की गझल? |
बेफिकीर |
गझल |
पुढे सरू की जाऊ मागे... |
वैभव देशमुख |
गझल |
गेले हळूच जेव्हा मी चोरपावलांनी... |
सोनाली जोशी |
गझल |
तसे नसेलही ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
पांडुरंगा |
प्रशान्त वेळापुरे |
गझल |
मनसुबे |
पुलस्ति |
गझल |
पहिल्यासारखे |
गौतमी |
गझल |
इतकी सुंदर ढाल? |
ह बा |
गझल |
किमया |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
फुटत राहिल्या आयुष्याच्या बिलोर काचा....... |
अनंत ढवळे |
गझल |
सवे या.. |
केदार पाटणकर |