गझल |
व्यर्थ जगणे ! |
supriya.jadhav7 |
गझल |
ऐकत नाही आता हे मन... |
मधुघट |
गझल |
जे जगतो ते लिहिणारा |
विजय दि. पाटील |
गझल |
फुलांनी काय हो केले ? |
सुनेत्रा सुभाष |
गझल |
बुरखा |
विसुनाना |
गझल |
कालचा प्रवास पुन्हा |
rind |
गझल |
सगळ मान्य |
अतुल कुलकर्णी |
गझल |
तिथे नाक घासा |
भूषण कटककर |
गझल |
पोचुनी दारी तुझ्या |
कुमार जावडेकर |
गझल |
आयुष्य खूप गेले, |
जयन्ता५२ |
गझल |
''वाटत आहे'' |
कैलास |
गझल |
अंगार चित्तवेधी |
गंगाधर मुटे |
गझल |
कशाला फुलांनी |
सोनाली जोशी |
गझल |
अनुमान! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
... या नभी अंधारवेना |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
तगमग |
ॐकार |
गझल |
काही दशके त्याचे.... पाल्हाळ कशासाठी |
भूषण कटककर |
गझल |
म्हटले होते |
क्रान्ति |
गझल |
मधाळ हाय-बायचे काय करावे... |
गिरीश कुलकर्णी |
गझल |
श्वासात ताल आहे |
भूषण कटककर |
गझल |
तुझा दोष नाही |
क्रान्ति |
गझल |
गरीबाला कुठे सांगा कुणाला टाळणे येते? |
ह बा |
गझल |
कितीदा |
कौतुक शिरोडकर |
गझल |
अनेक वर्षे जमीन उजाड पडून आहे |
सोनाली जोशी |
गझल |
पाहिले चालून त्याच्या सोबतीने |
बेफिकीर |