गझललेख |
सुरेश भटांच्या त्या दोन ओळी... |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
सोबत |
केदार पाटणकर |
गझल |
पाणी थकले, जमीन थकली... |
वैभव देशमुख |
गझल |
ऋतुंची ऐकली कुजबूज मी |
बेफिकीर |
गझल |
नेहमी गर्दी तुला जी लागते |
जयदीप |
गझल |
छानपैकी जगून गेलो मी..... |
बेफिकीर |
गझल |
तुझ्या - माझ्यात... |
ज्ञानेश. |
गझल |
कर्ज |
क्रान्ति |
गझल |
उदास खाली मनास घेऊन फिरतो आम्ही ... |
अमोल शिरसाट |
गझल |
केवळ तुझी होऊन झंकारायचे |
सोनाली जोशी |
गझल |
आनंदाने |
चित्तरंजन भट |
गझल |
किती आळशी |
सुनेत्रा सुभाष |
गझल |
'गोष्टी ' |
ज्ञानेश. |
गझल |
आयुष्य |
पुलस्ति |
गझल |
सांगतो प्रत्येक जण गर्दीतला..... |
अनंत ढवळे |
गझल |
'....राहू दे मला माझा !!' |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
गोल फक्त हा सजीव ठेवला असेल तर? |
बेफिकीर |
गझल |
पहा, शांत झाला.. |
केदार पाटणकर |
गझल |
असे नव्हे |
मिल्या |
गझल |
विषारी केव्हढे वातावरण आहे |
चित्तरंजन भट |
गझल |
नाव तुझ्या ओठावर... |
वैभव देशमुख |
गझल |
पहा दिशाही रुसून बसल्या तुझ्यासारख्या. |
सोनाली जोशी |
गझल |
जायला हवे ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
जराजरासा !!! |
supriya.jadhav7 |
गझल |
असा श्वासांत येतो प्रास |
वैभव जोशी |