गझल |
छळतो अजूनही का |
जयश्री अंबासकर |
गझल |
बुरखा |
विसुनाना |
गझल |
गोल फक्त हा सजीव ठेवला असेल तर? |
बेफिकीर |
गझल |
कसे मानू |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
फडफडतो काळजात माझ्या... |
वैभव देशमुख |
गझल |
मी ही तुझ्यात आहे |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
पोचुनी दारी तुझ्या |
कुमार जावडेकर |
गझल |
हात होतो पुढे भिकार्यांचा |
बेफिकीर |
गझल |
कहाणी |
सुनेत्रा सुभाष |
गझल |
स्वप्न ज्यात मी नसेन... |
बेफिकीर |
गझल |
मुलगी |
बापू दासरी |
गझल |
...मारव्याचे सूर काही ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
फार आता फार झाले |
जयन्ता५२ |
गझल |
हा शब्दांच्या गुणसूत्रांचा दोष असावा |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
फुलासारखी... |
ज्ञानेश. |
गझल |
मढे मोजण्याला |
गंगाधर मुटे |
गझल |
आश्चर्य काय ती ही आनंदली असावी |
मिल्या |
गझल |
पुन्हा सत्य स्वप्नांस तुडवून गेले |
गिरीश कुलकर्णी |
गझल |
...का असे? |
जयन्ता५२ |
गझल |
नवी गझल |
विजय दि. पाटील |
गझल |
फालतूपणा |
भूषण कटककर |
गझल |
काल ज्या क्षणी तुला मी पाहिले प्रिये |
कैलास |
गझल |
...शून्य माझी कलमकारी !! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
कुणाशी बोलता आहात याची कल्पना आहे? |
बेफिकीर |
गझल |
भेट एकदा |
अगस्ती |