गझल |
जे जसे आहे तसे स्वीकारतो मी शेवटी... |
बेफिकीर |
गझल |
तू कशी जाशील...? |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
बंद दिवसाच्या घराचे दार ... |
वैभव देशमुख |
गझल |
चालतो ऐसा जणू .... |
ह बा |
गझल |
गुंते |
योगेश वैद्य |
गझल |
गोल फक्त हा सजीव ठेवला असेल तर? |
बेफिकीर |
गझल |
भरोसा |
कैलास |
गझल |
नाही |
मिल्या |
गझल |
शेवट लिहलेला असतो सुरुवातीवरती |
शाम |
गझल |
कुणाकुणाला जरी समजला, मला परंतू कळला नाही... |
सोनाली जोशी |
गझल |
मान्यवरांची गझल-डॉ. संतोष कुलकर्णी |
मीर क्षीरसागर |
गझल |
गझल - वाटते आहे |
अनंत ढवळे |
गझल |
स्वप्न ज्यात मी नसेन... |
बेफिकीर |
गझल |
तू |
जयश्री अंबासकर |
गझल |
कळेना |
पुलस्ति |
गझल |
फार आता फार झाले |
जयन्ता५२ |
गझल |
. . . जशी तू |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
मावळाया लागलो |
निशिकांत दे |
गझल |
फुटत राहिल्या आयुष्याच्या बिलोर काचा....... |
अनंत ढवळे |
गझल |
सणासुदीला नटणारा |
भूषण कटककर |
गझल |
आश्चर्य काय ती ही आनंदली असावी |
मिल्या |
गझल |
ही घडी दे !!! |
supriya.jadhav7 |
गझल |
... किती लाचार व्हावे ? |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
चकवा |
केदार पाटणकर |
गझल |
ऋतू कोणता |
दिलीप पांढरपट्टे |