गझल |
तुझे घन आजही बरसून माझी आसवे गेले |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
जन्म वाभरा |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
जन्म एक मध्यरात्र वाटतो |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
हुंदका उरातच गोठवायचा आहे |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
गझल : माझ्या लक्षातच नाही |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
काय नभाची आहे इच्छा पाहू... |
वैभव देशमुख |
गझल |
जगण्याचे मातेरे होते... |
वैभव देशमुख |
गझल |
हवा |
वैभव देशमुख |
गझल |
फडफडतो काळजात माझ्या... |
वैभव देशमुख |
गझल |
पुढे सरू की जाऊ मागे... |
वैभव देशमुख |
गझल |
ती नदी गेली कुठे... |
वैभव देशमुख |
गझल |
नाव तुझ्या ओठावर... |
वैभव देशमुख |
गझल |
जन्मभर तुडवीन मी ... |
वैभव देशमुख |
गझल |
दिसतो तुला जरी मी......... |
वैभव देशमुख |
गझल |
ही झाडे पेटवली कोणी....... |
वैभव देशमुख |
गझल |
ये जवळ |
वैभव देशमुख |
गझल |
र॑ग अपुले मिसळले नाही..... |
वैभव देशमुख |
गझल |
हे फुलांचे उधान झाडांना... |
वैभव देशमुख |
गझल |
दिसे दिसायास... |
वैभव देशमुख |
गझल |
आयुष्याला अमुच्या....... |
वैभव देशमुख |
गझल |
एक पाखरु फांदीवर... |
वैभव देशमुख |
गझल |
बंद दिवसाच्या घराचे दार ... |
वैभव देशमुख |
गझल |
चांदणी, चंचला, कामिनी, सुंदरा, मोहिनी, अप्सरा, कोण आहेस तू |
वैभव देशमुख |
गझल |
विश्व समजू लागलो अपुल्या घराला |
वैभव देशमुख |
गझल |
पाणी थकले, जमीन थकली... |
वैभव देशमुख |