गझल |
जन्म एक मध्यरात्र वाटतो |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
हुंदका उरातच गोठवायचा आहे |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
गझल : माझ्या लक्षातच नाही |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
तुझी आभाळपुण्याई तुकोबा |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
गझल : ज्यामुळे जग ही नशीली रम्यता राखून आहे |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
आपला स॑वाद... |
वैभव देशमुख |
गझल |
हे फुलांचे उधान झाडांना... |
वैभव देशमुख |
गझल |
साचला अंधार आहे... |
वैभव देशमुख |
गझल |
फुलांचा रस्ता.... |
वैभव देशमुख |
गझल |
गुणगुणावे मी तुला ...... |
वैभव देशमुख |
गझल |
चांदणी, चंचला, कामिनी, सुंदरा, मोहिनी, अप्सरा, कोण आहेस तू |
वैभव देशमुख |
गझल |
रात्र आली.... |
वैभव देशमुख |
गझल |
विश्व समजू लागलो अपुल्या घराला |
वैभव देशमुख |
गझल |
पुढे सरू की जाऊ मागे... |
वैभव देशमुख |
गझल |
फडफडतो काळजात माझ्या... |
वैभव देशमुख |
गझल |
ती नदी गेली कुठे... |
वैभव देशमुख |
गझल |
हवा |
वैभव देशमुख |
गझल |
नाव तुझ्या ओठावर... |
वैभव देशमुख |
गझल |
जन्मभर तुडवीन मी ... |
वैभव देशमुख |
गझल |
क्षण तो सोसाट्याचा होता |
वैभव देशमुख |
गझल |
दिसे दिसायास... |
वैभव देशमुख |
गझल |
दिसतो तुला जरी मी......... |
वैभव देशमुख |
गझल |
ही झाडे पेटवली कोणी....... |
वैभव देशमुख |
गझल |
चाहुलीची तुझ्या चमक... |
वैभव देशमुख |
गझल |
तुझे स्वच्छ हासू झळाळी उन्हाची... |
वैभव देशमुख |