गझल |
सांग कोठे माणसा आहेस तू |
चित्तरंजन भट |
गझल |
आजच्या आज |
विजय दि. पाटील |
गझल |
गझल |
अनंत ढवळे |
गझल |
रस्ता देतो |
जयदीप |
गझल |
कसा करावा या भयगंडाचा निचरा |
अनंत ढवळे |
गझल |
तुझे स्वच्छ हासू झळाळी उन्हाची... |
वैभव देशमुख |
गझल |
जन्मतो गर्दीत आपण......संपतो गर्दीत पण |
बेफिकीर |
गझल |
कशाचा शोध काही घेत नसतो |
चित्तरंजन भट |
गझल |
आई मेंढ्या हाकत आहे, बाप दिवंगत आहे |
बेफिकीर |
गझल |
माझ्यातला चांगुलपणा वर आण तू |
बेफिकीर |
गझल |
...शांत समईसारखा ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
नीट वाच...! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
माझाच व्हावा मला नित्य आधार |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
तुझे आच्छादलेले जग मला सांगून जाते |
बेफिकीर |
गझल |
ज्या क्षणी मी थांबलो, ती थांबली |
जयदीप |
गझल |
गझल |
अनंत ढवळे |
गझल |
तुझ्यासारखे वाचता येत नाही |
जयदीप |
गझल |
जे जगतो ते लिहिणारा |
विजय दि. पाटील |
गझल |
तीच भेटावी.. |
केदार पाटणकर |
गझल |
किती? |
केदार पाटणकर |
गझल |
मढे मोजण्याला |
गंगाधर मुटे |
गझल |
पिणे सोडले मी…. |
अरविन्द पोहरकर |
गझल |
जन्म एक मध्यरात्र वाटतो |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
काही नवीन सुट्टे शेरः |
बेफिकीर |
गझल |
गलबत कुठे निघाले |
केदार पाटणकर |