गझल |
हे सुगंधाचे निघाले काफिले! |
मानस६ |
गझल |
हे शहरच आता दिसते... |
मधुघट |
गझल |
हे शहर माझी व्यथा सांभाळते |
प्रसन्न शेंबेकर |
गझल |
हे फुलांचे उधान झाडांना... |
वैभव देशमुख |
गझल |
हे तेच ते दिनरात.. |
केदार पाटणकर |
गझल |
हे जीवना तुझी टपरी चालते मला |
बेफिकीर |
गझल |
हे खेळ संचिताचे .....! |
गंगाधर मुटे |
गझल |
हे खरे ना? |
विसुनाना |
गझल |
हृदय असते उगाचच! |
भूषण कटककर |
गझल |
हुडकतो मी |
भूषण कटककर |
गझल |
हुंदका साधा तुझा सांगून गेला |
सोनाली जोशी |
गझल |
हुंदका ओठातला पोटात नाही |
supriya.jadhav7 |
गझल |
हुंदका उरातच गोठवायचा आहे |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
ही सरिता रुसली आज किनाऱ्यावरती... |
मानस६ |
गझल |
ही माणसे घनदाट देवासारखी |
निलेश कालुवाला |
पृष्ठ |
ही दुनिया घालत आहे कसले हे नवीन कपडे |
विश्वस्त |
गझल |
ही तुझी माझीच आहे गोष्ट पण |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
ही झाडे पेटवली कोणी....... |
वैभव देशमुख |
गझल |
ही घडी दे !!! |
supriya.jadhav7 |
गझल |
ही गझल आणि एक सांगाडा |
भूषण कटककर |
गझल |
ही भूमी |
प्रदीप गांधलीकर |
गझल |
हिशेबाची माय मेली? |
गंगाधर मुटे |
गझल |
हासल्यासारखी भासती माणसे |
बेफिकीर |
गझल |
हास आयुष्या |
क्रान्ति |
गझल |
हातच दगडाखाली माझे... |
शैलेश कुलकर्णी |