गझल |
शब्द बेईमान झाले आज इतके काय सांगू? |
विजय दि. पाटील |
गझल |
जगेन मी |
भूषण कटककर |
गझल |
श्वास |
पुलस्ति |
गझल |
शंकर रामाणींची गझल |
जयन्ता५२ |
गझल |
माझा खून |
भूषण कटककर |
गझल |
तुझे आच्छादलेले जग मला सांगून जाते |
बेफिकीर |
गझल |
तु जाता |
इलोवेमे |
गझल |
करारनामे |
ॐकार |
गझल |
गलितगात्र |
कैलास |
गझल |
माझे कसे म्हणावे.... |
स्वामीजी |
गझल |
वाहते का ? हवाच आहे की ! |
चित्तरंजन भट |
गझल |
पुन्हा... |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
...नकोशा रात्री ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
हरवलाच रुखवती उखाण्याचा गोडवा |
ह बा |
गझल |
रुढी परंपरेचा का बांधलास शेला? |
विद्यानंद हाडके |
गझल |
हे तेवढे बरे झाले |
श्यामली |
गझल |
शोध ज्याचा घेतला तो..(अनुवाद) : केदार पाटणकर |
केदार पाटणकर |
गझल |
हे फुलांचे उधान झाडांना... |
वैभव देशमुख |
गझल |
असे कसे ते मधेच घडते? |
चमत्कारी |
गझल |
खेळणे |
बेफिकीर |
गझल |
सांगू कसे...?(गझल) |
mamata.riyaj@gm... |
गझल |
गझलेचा आजार हवा |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
मुखवटा घातल्यानंतर |
भूषण कटककर |
गझल |
दिसे दिसायास... |
वैभव देशमुख |
गझल |
...मारव्याचे सूर काही ! |
प्रदीप कुलकर्णी |