गझल |
कुणाकुणाला जरी समजला, मला परंतू कळला नाही... |
सोनाली जोशी |
गझल |
चंद्र झालो मी कुणाचा अन किती डागाळलो मी.. |
सोनाली जोशी |
गझल |
मी मोजत असते रात्री |
सोनाली जोशी |
गझल |
गप्प नसती लोक काही नेमके पाहूनही |
सोनाली जोशी |
गझल |
धीट माझी प्रीत होती |
सोनाली जोशी |
गझल |
कशाला फुलांनी |
सोनाली जोशी |
गझल |
भेट |
सोनाली जोशी |
गझल |
तुला बोलावतो सागर तुला बोलावती वाटा |
सोनाली जोशी |
गझल |
नको फिरून बोलणे नकोच आज भेटणे |
सोनाली जोशी |
गझल |
अनेक वर्षे जमीन उजाड पडून आहे |
सोनाली जोशी |
गझल |
कसा कसा वाढला कळू दे ,माझा तुझा दुरावा... |
सोनाली जोशी |
गझल |
केवळ तुझी होऊन झंकारायचे |
सोनाली जोशी |
गझल |
बहरासंगे फुलणार्या सर्व फुलांची मी कोण लागते |
सोनाली जोशी |
गझल |
सोने |
सोनाली जोशी |
गझल |
रस्ता भरलेला असतो अन गर्दी साचत असते |
सोनाली जोशी |
गझल |
मी बोचलो म्हणाले |
सोनाली जोशी |
गझल |
शब्द बेहोश कर.. |
सुशांत खुरसाले. |
गझल |
छडा लागला रे |
सुरेश शिरोडकर |
गझल |
कमळ नव्हे पण गुलाब तू तर - सुनेत्रा सुभाष |
सुनेत्रा सुभाष |
गझल |
गझल |
सुनेत्रा सुभाष |
गझल |
दळण |
सुनेत्रा सुभाष |
गझल |
नकोच जाऊ तिथे अता तू |
सुनेत्रा सुभाष |
गझल |
काय सांगू |
सुनेत्रा सुभाष |
गझल |
लंब |
सुनेत्रा सुभाष |
गझल |
सांग ओठास तुझी गोष्ट फुलांची बाई |
सुनेत्रा सुभाष |