गझल |
बस जराशा मी पणाने.... |
अमित वाघ |
गझल |
एक पाखरु फांदीवर... |
वैभव देशमुख |
गझल |
किनारा गाठण्यासाठी |
बेफिकीर |
गझल |
वाटे पुन्हा पुन्हा.. |
बहर |
गझल |
धागे |
क्रान्ति |
गझल |
नको तसे घडण्यावरती ह्यासाठी मन जडले होते |
बेफिकीर |
गझल |
इतके दव त्या रस्त्यावरती पडले होते... |
ज्ञानेश. |
गझल |
वगैरे... |
वैभव जोशी |
गझल |
विचाराधीन मन |
भूषण कटककर |
गझल |
चालताना ........ |
निलेश कालुवाला |
गझल |
समज |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
रसायन ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
अशक्य केवळ |
जयश्री अंबासकर |
गझल |
धमन्यांत वाहते रक्त.. |
बहर |
गझल |
पूर्वीगत पण आता काही लिहिवत नाही |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
जपून ठेवले |
मनीषा साधू |
गझल |
...पुढे मी गेलो ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
रस्ता |
कौतुक शिरोडकर |
गझल |
वारुळे |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
~ शामकांती सांजवेळी ~ |
Ramesh Thombre |
गझल |
मी कधी माझ्यात ही असणार नाही |
स्नेहदर्शन |
गझल |
जसे काल होते तसे आज वाटे |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
जे जसे आहे तसे स्वीकारतो मी शेवटी... |
बेफिकीर |
गझल |
दुःख गोठलेले मी... ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
फुटत राहिल्या आयुष्याच्या बिलोर काचा....... |
अनंत ढवळे |