गझल |
गात येथे तू उगा का थांबलेला |
विदेश |
गझल |
गझल-" म्हणून जगणे आले"- |
विदेश |
गझल |
शिखर त्यांनी गाठलेले - |
विदेश |
गझल |
मी मोरपीस व्हावे - |
विदेश |
गझल |
गावाला आलो की..... |
विजय दि. पाटील |
गझल |
भांडेल कोण आता? |
विजय दि. पाटील |
गझल |
जे जगतो ते लिहिणारा |
विजय दि. पाटील |
गझल |
ह्याहून मोठे अक्रीत काही घडणार नाही |
विजय दि. पाटील |
गझल |
गझल |
विजय दि. पाटील |
गझल |
अधनंमधनं आनंदाची कडमड आहे |
विजय दि. पाटील |
गझल |
मी तसा माणूस आहे |
विजय दि. पाटील |
गझल |
आजच्या आज |
विजय दि. पाटील |
गझल |
नवी गझल |
विजय दि. पाटील |
गझल |
निघाले अर्थ नाही ते तुझ्या वाटेत येण्याचे |
विजय दि. पाटील |
गझल |
गझल |
विजय दि. पाटील |
गझल |
सिग्नल |
विजय दि. पाटील |
गझल |
शब्द बेईमान झाले आज इतके काय सांगू? |
विजय दि. पाटील |
गझल |
बोचरे वारे |
विजय दि. पाटील |
गझल |
अमल |
विजय दि. पाटील |
गझल |
वर्तुळे |
विजय दि. पाटील |
गझल |
पडल्यापडल्या जागोजागी उसवत आहे |
विजय दि. पाटील |
गझल |
म्हणालो त्यातले काहीच मी करणार नाही |
विजय दि. पाटील |
गझल |
आईच्या पोटात कधी हा भेद कुणी का शिकले? |
विजय दि. पाटील |
गझल |
मनात माझ्या कुठून येते बरेच काही? |
विजय दि. पाटील |
गझल |
तुझ्या हातात माझ्या जिंदगीचा कासरा मी देत आहे |
विजय दि. पाटील |