गझल |
ह्या मनाचे, दुश्मनाचे काय करावे ?.... |
खलिश |
गझल |
पूर्वीगत पण आता काही लिहिवत नाही |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
जपून ठेवले |
मनीषा साधू |
गझल |
गझल - वाटते आहे |
अनंत ढवळे |
गझल |
...व्यवसाय मी |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
रस्ता |
कौतुक शिरोडकर |
गझल |
वारुळे |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
मी कधी माझ्यात ही असणार नाही |
स्नेहदर्शन |
गझल |
कळेना |
पुलस्ति |
गझल |
पहा दिशाही रुसून बसल्या तुझ्यासारख्या. |
सोनाली जोशी |
गझल |
जसे काल होते तसे आज वाटे |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
दुःख गोठलेले मी... ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
जन्मभर तुडवीन मी ... |
वैभव देशमुख |
गझल |
फुटत राहिल्या आयुष्याच्या बिलोर काचा....... |
अनंत ढवळे |
गझल |
ते पाखरू दिवाणे |
जयन्ता५२ |
गझल |
कोणत्या चिमटीत मी त्याला धरू |
चित्तरंजन भट |
गझल |
ऋतू कोणता |
दिलीप पांढरपट्टे |
गझल |
खेळ ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
अंतरातली व्यथा अंतरी जपायची |
मिल्या |
गझल |
गझल : ज्यामुळे जग ही नशीली रम्यता राखून आहे |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
मद्यालय |
भूषण कटककर |
गझल |
जायला हवे ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
गझल तालात चालावी |
भूषण कटककर |
गझल |
जरी वाटेल माझे बोलणे |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
हा प्रवास आधी मुळीच ठरला नव्हता |
चित्तरंजन भट |