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४ गझला: संतोष कुलकर्णी |
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खरे सांगतो |
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कविवर्य सुरेश भट कविता सादर करताना. सोबतीस भाऊ पंचभाई. |
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एक संवाद-१ |
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भटसाहेब ३ |
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गझल |
चाचणी |
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म्हणून माझी झेप कधी उंच जाऊ शकली नव्हती |
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एल्गार हा कार्यक्रम सादर करताना कविवर्य सुरेश भट आणि सोबतीस शाहीर सुरेशकुमार वैराळकर |
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कवितेचा प्रवास-१ |
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गझललेख |
ज्ञानेशच्या गझला |
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विजा घेऊन येणाऱ्या पिढ्यांशी बोलतो आम्ही |
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गझललेख |
मराठी गझलांचे चैतन्य |
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पेज कॅशे क्लिअर |
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कैफियत-६ |
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काही वेळा... |
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बात हम नहीं करते |
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गझल |
प्रीती सखे मलाही का परवडू नये...? |
विशाल कुलकर्णी |
गझल |
थांबणे सोसेल तोवर लागते चालायला... |
विशाल कुलकर्णी |
गझल |
............. अजून काही |
विशाल कुलकर्णी |
गझल |
माळले गजरे तयांनी वाळलेले...! |
विशाल कुलकर्णी |
गझल |
कसा मी करावा खुलासा मनाचा... |
विद्यानंद हाडके |
गझल |
रुढी परंपरेचा का बांधलास शेला? |
विद्यानंद हाडके |
गझल |
सारे वसंत... |
विद्यानंद हाडके |
गझल |
शिखर त्यांनी गाठलेले - |
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