गझल |
रुढी परंपरेचा का बांधलास शेला? |
विद्यानंद हाडके |
गझल |
रीत माझी... (हझल) |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
रिवाज पाळू... |
ज्ञानेश. |
गझल |
रिमझिमणारी |
निशिकांत दे |
गझल |
रिती पोकळी |
क्रान्ति |
गझल |
रिताच पेला |
अभिषेक दीपक कासोदे |
गझल |
रित |
कैलास |
गझल |
राहू दे |
मनीषा साधू |
गझल |
राहुदे मजला कवी |
भूषण कटककर |
गझल |
राहिलो एकेकटे दोघे जगत....! |
प्रदीप कुलकर्णी |
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राहिले रे अजून श्वास किती ?* |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
राहिले माझेतुझे नाते घसाऱ्यासारखे |
चित्तरंजन भट |
गझल |
राहिले न आजकाल वाचण्यासारखे... |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
रात्री जे घडले त्याची दिवसाला वार्ता नसते |
प्रणव सदाशिव काळे |
गझल |
रात्रभर |
पुलस्ति |
गझल |
रात्र पुन्हा परीकथा रंगवेल |
प्रसाद लिमये |
गझल |
रात्र झाली फ़ार आता !!! |
supriya.jadhav7 |
गझल |
रात्र आली.... |
वैभव देशमुख |
गझल |
रात्र आधी मोजतो |
जयन्ता५२ |
गझल |
रात आहे |
अनिकेत |
गझल |
राज्य दुःखाचे... |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
राजसा. |
कमलाकर देसले |
गझल |
राजसा |
नितीन |
पृष्ठ |
राज-का-रण |
अमेय जोशी |
गझल |
राखते तोल मी.....!!! |
supriya.jadhav7 |